Not known Details About hindi bhajan

सेवक स्तुति करत सदाहीं ॥ वेद नाम महिमा तव गाई।

श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान ।

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धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥

लिङ्गाष्टकम्

कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥

कवि ने पक्षी और बादल को भगवान के डाकिए क्यों बताया हैं? स्पष्ट कीजिए।

अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं ॥१३॥ सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा ।

अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥ 

Placing the ring of Rama within your mouth, you jumped and flew around Ocean to Lanka; there isn't a surprise in that.

प्यारे आ जाओ, प्यारे आ जाओ

त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर shri hanuman ji ki aarti मोहि आन उबारो॥

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अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन क्षार लगाए॥

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